जगत प्रोटिस्टा के जीवधारियों को मुख्यतः तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है –



1 – प्रकाश संश्लेषी या पादप सम प्रोटिस्ट्स (Photosynthetic or holophytic protists )
2 – कवकसम प्रोटिस्ट्स ( fungus like protists)
3 – जन्तुसम प्रोटिस्ट्स या प्रोटोजोऑन्स ( Holozoic Protists or Protozoans )
1- प्रकाश संश्लेषी या पादप सम प्रोटिस्ट्स (Photosynthetic or holophytic protists)-
इसके अंतर्गत एक कोशिकीय यूकैरियोटिक जीवन के समूह को सम्मिलित किया गया है सामान्यत यह सूक्ष्म जल में तैरने वाले अर्थात पादप प्लवक (phytoplankton ) प्रकार के पादप शैवाल है जो पौधों की भांति प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम होते हैं इसीलिए इन्हें पादप सदृश प्रोटिस्ट्स कहते हैं । इन जीवों में अधिकांश प्रकाश संश्लेषण क्लोरोफिल वर्णक द्वारा किया जाता है और भोजन का निर्माण होता है । यह भी निम्न प्रकार के होते हैं-
1 -डाइनोफ्लैजिलेट ( Dianoflagellates)- यह प्रकाश संश्लेषी अति सूक्ष्म तथा एक कोशिकीय होते हैं इन्हें वर्ग dinophyceae के अंतर्गत रखा गया है यह प्राय खारे जल (समुद्र) में पाए जाते हैं । समुद्री खाद्य श्रृंखला में उनकी भूमिका प्रमुख होती है। उदाहरण- Noctiluca, Ceratium, etc
2 – क्राइसोफाइट्स (Chrysophytes)- यह एक कोशिकीय एवं प्रकाश संश्लेषण होती हैं इसके अंतर्गत डायटम्स (Diatoms) तथा डेसमिड्स (Desmids) आते हैं । उदाहरण- Triceratium, Navicula, Amphipleura, etc ।
3 – यूग्लीनाएड ( Euglenoid)- ये विशिष्ट प्रकार के एककोशिकीय जीव हैं जिनमे जन्तु एवं पौधों दोनों के लक्षण मिलते हैं । समानता इनका अध्ययन संघ प्रोटोजोआ के वर्ग फाइटोमैस्टिगोफोरा (class – phytomastigophora ) के अंतर्गत किया जाता है। ये पर्णहरिम युक्त हरे रंग के प्रकाश संश्लेषी प्रोटिस्टा (photosynthetic protists ) हैं । उदाहरण – Euglena, Paranema, etc .
2 – कवकसम प्रोटिस्ट्स ( fungus like or slime molds ) – उनकी कायिक संरचना जंतुओं एवं जननीय प्रावस्था पादप के समान होती है । अर्थात दोनों के लक्षण मिलते हैं इस विशिष्टता के कारण इन्हें फंगस एनिमल (fungus animal ) कहते हैं । इनमें प्रकाश संश्लेषण क्रिया का अभाव होता है यह प्रायः परपोषी ( मुख्यतः मृतोपजीवी ) होते हैं । उदाहरण – Myxamoeba
3 – जन्तुसम प्रोटिस्ट्स , प्रोटोजोआ (Holistic Protists , Protozoa ) – इसके अंतर्गत समस्त एक कोशिकीय सूक्ष्मजीव सम्मिलित हैं इनका संपूर्ण शरीर एक सुकेंद्रीय कोशिका के समान होता है । यह निम्नतम कोटि के सर्वाधिक प्राचीन सरलतम संरचना के “प्रथम जंतु” हैं , किंतु बहुकोशिकीय जंतुओं के समान सभी जैव क्रियाओं को करने में सक्षम होते हैं। अतः इन्हें अकोशिकीय ( non cellular or acellular ) जंतु कहते हैं ।