
Reproduction In Virus– वायरस (virus) अविकल्पी परजीवी (obligatory parasite) हैं | सजीव कोशिकाओं के बाहर ये निर्जीव नूक्लिओप्रोटीन कण होते हैं |
वास्तव में वायरसो में आनुवंशिक पदार्थ तो होता है किन्तु उसका उपयोग करने के लिए इनमें होनी उपापचय यांत्रिकी (metabolic machinary) नहीं होती | परपोषी कोशिका में प्रवेश करने के बाद वायरस परपोषी कोशिका का विनाश कर देते हैं और परपोषी की उपापचयी यांत्रिकी का उपयोग करके अपने जीनोम एवं कैप्सिड प्रोटीन अणुओं का संश्लेषण करते हैं तथा संतति वायरल कणों का निर्माण करते हैं | इस प्रकार वायरल कणों में तेजी से वृद्धि होती है | वायरस के इस जीवन चक्र को लायटिक चक्र (lytic cycle) कहते हैं |
लायटिक चक्र (Lytic Cycle) – लायटिक चक्र में वायरस कण उग्र (virulent) होते हैं | इस चक्र को परजीविता चक्र (parasitic cycle) या पोशद कोशिकीय चक्र (host-cell cycle) कहते हैं | इसके निम्नलिखित चरण होते हैं –
1 – अधिशोषण (Adsorption) – वायरस कण (virion) के परपोषी कोशिका से चिपकने को अधिशोषण कहते हैं | इसमें बक्टेरिओफगे के पुच्छ – प्रोटीन जीवाणु के खोल के ग्लाइकोप्रोटीन या लिपोप्रोटीन के बीच अभिक्रिया होती है जिससे संपर्क स्थल पर पोषक कोशिका के खोल में एक छिद्र बन जाता है |
2 – बेधन (Penetration) – जीवाणु वायरस का DNA परपोषी या जीवाणु कोशिका के अंदर पहुंच जाता है और प्रोटीन खोल बाहर रह जाता है | परन्तु पादप एवं जंतु वायरस अपने प्रोटीन खोल के साथ परपोषी कोशिका में प्रवेश करते हैं |
3 – अनावरण (Uncoating) – परपोषी कोशिका के अंदर विरिओन का न्यूक्लिक अम्ल और इससे संबंधित एंजाइम के अलावा सभी संरचनाएँ( प्रोटीन खोल तथा वायरल आवरण) परपोषी कोशिका के लायटिक एन्जाइम्स द्वारा नष्ट हो जाती हैं ।
4 – संश्लेषण प्रावस्था (Synthetic Phase) – परपोषी कोशिका के अंदर वायरल न्यूक्लिक अम्ल का बारम्बार द्विगुणन होता है | साथ ही खोल प्रोटीन्स व एन्ज़ाइम्स के संश्लेषण को भी प्रेरित करता है | ये एन्ज़ाइम्स परपोषी कोशिका के जीनोम तथा परपोषी कोशिका को नष्ट करके और नए बने विरिओन को मुक्त करने में सहायक होते हैं |
5 – परिपक्वन (Maturation) – वायरल डीएनए और प्रोटीन खोल के संगठित होने पर नए विरिओन कण बनते हैं | संयोजन के बाद virions के चारों ओर आवरण बनता है |
6 – विमुक्ति (Realease) – परपोषी कोशिका के फटने पर virions मुक्त हो जाते हैं | कुछ जंतु वायरस बहिःकोशिकापारण (exocytosis) द्वारा मुक्त होते हैं और नयी कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं | बैक्टीरियोफेज का लायटिक चक्र केवल 15 से 30 मिनट में पूरा हो जाता है किन्तु जंतु वायरस में 15 से 30 घंटे लगते हैं |