Structure of Viroids [ वायरॉइड्स की संरचना]

वायरॉइड्स (Viroids) RNA का नग्न अणु है जिसके चारों और प्रोटीन आवरण नहीं होता यद्यपि RNA, एक सूत्री तथा बंद वृत्त अर्थात circular होता है

वायरॉइड्स ( VIROIDS ) – सन 1971 में T. O. Diener ने पता लगाया की आलू में इसके कंद गिल्टीदार होकर चटक जाते हैं जो इसके एक रोग आलू तर्कु कंद बीमारी (potato spindle tuber disease) के कारण होता है | इस रोग के कारण की खोज करने पर पता चला की यह वायरस से भी छोटे कणों द्वारा उत्पन्न होता है जो स्वय कंद की कोशिकाओं में ही रहते हैं | उन्होंने यह पता लगाया की ये कण RNA के स्वतंत्र , छोटे एवं वृत्ताकार एकसूत्री अणु होते हैं जिनमें लगभग 300 नूक्लिओटाइड एकलक (monomer) होते हैं इन्हीं अणुओं को डायनर ने वायरॉइड्स(Viroids) नाम दिया | कोशिकाओं में यह प्रचुरोद्भवन (proliferation) द्वारा संख्या में अत्यधिक बढ़कर ये आलू के कंदों में रोग फैलाते है | एक पौधे से दूसरे पौधे में ये स्पर्श से या युग्मक कोशिकाओं (gametes) के द्वारा फैलते हैं |

डायनर की खोज के बाद लगभग डेढ़ दर्जन विभिन्न प्रकार के रोगजनक वायरॉइड्स की खोज की जा चुकी है जिनमें प्रमुख हैं – सिट्रो एक्सोकार्टिस वायरॉइड्स (376 Nucleotides) , आलू तर्कु कंद वायरॉइड्स (359 Nucleotides) , कोकोनट केडेंग – केडेंग वायरॉइड्स (246 Nucleotides) आदि | जंतुओं तथा प्रोकैरियोट्स में वायरॉइड्स नहीं देखे गए हैं | गत पचास वर्षों में केडेंग -केडेंग ( Cadang Cadang ) वायरॉइड्स के कारण फिलीपीन्स में नारियल के लाखों वृक्ष मर चुके हैं |

संरचना एवं कार्य (Structre And Function) – वायरॉइड्स RNA का नग्न अणु है | जिसके चारों और प्रोटीन का आवरण नहीं होता यद्यपि RNA, एक सूत्री तथा बंद अर्थात circular होता है | वायरॉइड्स कोशिका से बाहर पर्याप्त रूप से स्थिर रहता है , परन्तु प्रोटीन आवरण की अनुपस्थिति के कारण यह पोषद कोशिका में प्रवेश के लिए ग्राही (receoter) का प्रयोग नहीं कर पाता | इसके बदले यह पौधों में घावों , कीटों या अन्य यांत्रिक क्षति माध्यम से सीधे प्रवेश करता है | पौधों के अंदर यह प्लाज़्मोडेस्मेटा द्वारा एक कोशिका से दूसरी कोशिका में जाता है |

वायरॉइड्स निम्नलिखित छ: प्रकार से वायरस से भिन्न हैं —

1 – प्रत्येक वायरॉइड्स एक वृत्तीय RNA अणु का बना होता है जिसका अणुभार कम तथा न्यूक्लियोटाइड्स की संख्या 246 से 399 तक होती है |

2 – वायरॉइड्स आवरण रहित RNA कणों के रूप में कोशिका के अंदर प्रायः केन्द्रिका (nucleoli) में रहते हैं |

3 – कुछ वायरसों के विपरीत , वायरॉइड्स को सहायक वायरस (helper virus) की आवश्यकता नहीं होती |

4 – वायरॉइड्स में RNA द्वारा प्रोटीन्स का निर्माण नहीं होता |

5 – वायरस के RNA का प्रतिलिपिकरण पोषद कोशिका के कोशिका द्रव्य या केन्द्रक में होता है जबकि वायरॉइड्स RNA का प्रतिलिपिकरण केन्द्रक में होता है |

6 – विशेष तकनीक ( जिसके द्वारा RNA के न्यूक्लिओटाइड्स की श्रृंखला की पहचान होती है ) , के बिना ऊतक में वायरॉइड्स कण ज्ञात नहीं ज्ञात किये जा सकते |

निष्कर्ष (Conclusion) – वायरॉइड्स , पोषद कोशिका के उपापचय को किसी न किसी रूप में छिन्न भिन्न करते हैं , लेकिन कोई प्रोटीन उत्पाद नहीं बनता | अतः यह स्पष्ट नहीं है वायरॉइड्स तथा उनके RNA किस प्रकार की बीमारी उत्पन्न करते हैं |

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