What Are Prions [ प्रियोन्स क्या हैं ?]

सन् 1982 में स्टैनले प्रुसिनर (Stanley Prusiner) ने प्रमाणित किया की कुछ बीमारियां जैसे गायों में पागलपन का रोग (mad cow disease) , मनुष्यों में पागलपन का रोग – डिमेंशिया (dementia) तथा मनुष्यों में कम्पन्नशील लकवा अर्थात पार्किंसन रोग (Parkinson`s Disease) , छोटे प्रोटीन संक्रामक कणों से होती है जिसे इन्होंने प्रिओन (Prion) नाम दिया जिस कार्य के लिए इन्हें सन् 1997 में मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार (Noble Prize) से सम्मानित किया गया |

प्रिओन्स (Prions)— प्रिओन्स प्रोटीन के बने 4 से 6 nm व्यास के कण होते हैं इनका संश्लेषण मस्तिष्क की कोशिकाओं के जीनोम में उपस्थित जीनों के नियंत्रण में होता है | सन् 1968 में डी0 सी0 गज्डूसेक (D. C . Gajdusek) ने न्यू गिनी में मनुष्यों की आदिम जाति में एक ऐसा रोग देखा जिसमें रोगी बहुत अधिक हँसता है और हँसते – हँसते उसकी मृत्यु हो जाती है | इस रोग को हँसी रोग (Laughing Disease) , अर्थात कुरु (kuru) नाम दिया गया बाद में उन्होंने कहा की कुछ बीमारियां जैसे गायों में पागलपन का रोग (mad cow disease) , मनुष्यों में पागलपन का रोग – डिमेंशिया (dementia) तथा मनुष्यों में कम्पन्नशील लकवा अर्थात पार्किंसन रोग (Parkinson`s Disease) आदि रोग भी प्रिओन्स के कारण ही होते है |

स्टैनले प्रुसिनर (Stanley Prusiner) तथा अन्य वैज्ञानिकों पता लगाया कि प्रिओन्स एक प्रोटीन्स (PrP protein, or prion protein, Is A protein encoded by the PRNP gene , found predominantly in the brain and other tissue.) है जिसका निर्माण तंत्रिका कोशिका द्वारा होता है | इस प्रोटीन कि कुछ प्रतिलिपियाँ किन्हीं अस्पष्ट कारणों से वलयित होकर गलत रूप ले लेती हैं और संक्रामक प्रिओन्स (Prions) में बदल जाती हैं ये प्रिओन्स फिर दूसरी सामान्य प्रोटीन प्रतिलिपियों को प्रिओन्स में रूपांतरित होने के लिए प्रेरित करती हैं , प्रोटीन अणुओं का वलयित होना संभवतः उत्परिवर्तन (Mutation) का परिणाम है | पौधों में कोई भी प्रिओन्स बीमारी ज्ञात नहीं है यद्यपि यीस्ट में इनकी उपस्थिति देखी गयी है |

वायरस एवं प्रिओन्स में भिन्नताएं – वायरस एवं प्रिओन्स में निम्नलिखित भिन्नताएं हैं –

1 – ये 90 C ताप पर भी निष्क्रिय नहीं होते हैं जबकि वायरस निष्क्रिय हो जाते हैं |

2 – विकिरण प्रभाव उपचार (Radiation Treatment) में वायरस जीनोम नष्ट हो जाता है जबकि प्रयान्स संक्रमण प्रभावित नहीं होता है |

3 – DNA एवं RNA का पाचन करने वाले एन्ज़ाइम्स , प्रयान्स को हानि नहीं पहुँचाते हैं |

4 – प्रिओन्स , प्रोटीन्स को विकृत करने वाले तत्वों , जैसे – यूरिया तथा फिनॉल आदि के प्रति संवेदनशील नहीं होते |

5 – प्रिओन्स में अमीनो अम्लों का सीधे जुड़ाव होता है |

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