Brassicaceae Family : ( Brassica compestris )

1- पुष्पक्रम (Inflorescence) : असीमाक्ष (Racemose) ।
2- पुष्प (Flower) – असहपत्री (ebracteate) सवृंती (pedicellate) त्रिज्यासममित (actinomorphic) चतुर्मयी द्विलिंगी (bisexual) जायांगधर (hypogynous) |
3 – बाह्यदलपुंज (Calyx) – 4 वाह्यदल पृथक (polysepalous ) वाह्यदल 2+2 ( in two whorls 2+2) ।
4 – दलपुंज (Calyx) – 4 दल (petals) पृथकदली (polypetalous) क्रूसीफार्म (cruiciform) कोरस्पर्शी (valvate aestivation ) ।
5 – पुमंग (Androecium) – 6 पुंकेसर (stamens) 2+4 चतुर्दीर्घी परागकोश (tetradyanamous ) द्विकोष्ठी(dithecous) अन्तर्मुखी (introrse) ।
6 – जायांग (Gynoecium) – द्विअण्डपी (bicarpellary), युक्ताण्डप (syncarpous) , ऊर्ध्व (superior ovary) एक कोष्ठी ( unilocular) बाद में कूट पट रेप्लम बन जाने से द्विकोष्ठी (bilocular) हो जाता है , भित्तीय बीजाण्डन्यास (Perietal placentation) वर्तिका और वर्तिकाग्र एक होता है ।
7- फल ( Fruit) – सिलीकुआ (Siliqua) ।
Brassicaceae Family, जिसे सरसों कुल भी कहा जाता है, में कई महत्वपूर्ण फसलें शामिल हैं। उदाहरण के लिए, पत्ता गोभी, फूलगोभी, ब्रोकोली और सरसों इस कुल के प्रमुख सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त, इस कुल के पौधे औषधीय गुणों और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। साथ ही, इनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। दूसरी ओर, इस कुल की कुछ जंगली प्रजातियाँ खरपतवार के रूप में देखी जाती हैं। फिर भी, यह कुल कृषि और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अंत में, कहा जा सकता है कि Brassicaceae न केवल खाद्य उत्पादन में उपयोगी है, बल्कि जैव प्रौद्योगिकी और पादप प्रजनन में भी इसका विशेष योगदान है।