Coelentrata Or Cnidaria Characterstics

Gr. Kollos = hollow ; entron = intestine ;

Coelentrata Or Cnidaria Characterstics :

Coelentrata Or Cnidaria Characterstics “Cnidaria” का अर्थ है Stinging cell Bearing Animals |

सामान्य लक्षण (Characters) :

1 – ये सरल मेटाजोआ हैं जिनमें ऊतक बनने की प्रक्रिया प्रारंभिक अवस्था होती है |

2 – ये एकल व स्वतंत्र तैरने वाले निवही (colonial) व स्थानबद्ध होते हैं |

3 – जंतु अरीय सममित (radial symmatrical) तथा द्विस्तरीय (diploblastic) होते हैं | वाह्य स्तर एक्टोडर्म (ectoderm) तथा भीतरी स्तर एण्डोडर्म (endoderm) कहलाता है | इन दोनों स्तरों के बीच अकोशिकीय जिलेटिन की बनी मीसोग्लिया होती है | इसमें अमीबाभ (amoeboid) कोशिकाएं मिल सकती हैं |

4 – देहभित्ति के भीतर केवल मध्य गुहा होती है जो गैस्ट्रोवैस्कुलर गुहा (gastrovascular cavity) कहलाती है | यह पाचन नली के समान कार्य करती है तथा शीर्ष छिद्र द्वारा बाहर से सम्बंधित होती है | यह छिद्र मुख कहलाता है | यह भोजन ग्रहण करने तथा अपच भोजन को शरीर से बाहर निकलने का कार्य करता है | इसमें गुदा द्वार नहीं होता |

5 – मुख शरीर के उभरे हुए अगले तिकोने भाग पर स्थित होता है | यह हाइपोस्टोम (hypostome) कहलाता है | मुख के चारों ओर स्पर्शक (tentacles) पाए जाते हैं |

6 – देहभित्ति में अन्तराली कोशिकाओं (interstitial cells) तथा दंश कोशिकाओं (cnidoblast or nematoblast) की बैटरी पायी जाती है | दंश कोशिकाएं आधार से चिपकने , आत्म रक्षा तथा भोजन पकड़ने में सहायता करती हैं |

7 – परिवहन , श्वसन , उत्सर्जन आदि तंत्र अनुपस्थित होते हैं |

8 – तंत्रिका कोशिकाएं देहभित्ति में फैलकर जाल सा बनती हैं |

9 – इन जंतुओं में बहुरूपता (polymorphism) पायी जाती है | अतः ये जन्तु एक से अधिक रूपों में मिलते हैं | ये पॉलिप (polyp) तथा मेडुसा (medusa) रूपों में मिलते हैं | पॉलिप अवस्था वृन्त विहीन लम्बी तथा बेलनाकार होती है जबकि मेडुसा अवस्था स्वतंत्र तैरने वाली तश्तरी के आकार की होती है | मेडुसा अवस्था में वीलम (velum) पाया जाता है |

10 – इनमें कलिकोत्पादन (budding) द्वारा अलैंगिक जनन होता है जबकि लैंगिक जनन में शुक्राणु एवं अंडाणु बनते हैं | जीवनवृत्त में स्टीरियोगैस्ट्रुला (stereogastrula) अथवा प्लैनुला (planula) लार्वा अवस्था पायी जाती है |

11 – इनमें जननों का एकान्तरण या मेटजेनेसिस (metagenesis) पाया जाता है | अर्थात अलैंगिक पॉलिप अवस्था से लैंगिक मेडुसा अवस्था में जंतुओं में एकान्तरण होता रहता है |

वर्गीकरण (Classification) :

फाइलम नीडेरिया को तीन क्लासों में विभाजित किया गया है –

वर्ग – 1 – हाइड्रोजोआ (Class 1 – Hydrozoa) :

1 – मीसोग्लिया अकोशिकीय तथा जेली के समान होती है |

2 – अधिकांश जंतु बहुरूपी हैं अर्थात इनमें पॉलिप अवस्था तथा मेडुसा अवस्थाओं में एकान्तरण पाया जाता है |

3 – मेडुसा अवस्था में वास्तविक वीलम (velum) होता है |

4 – इनमें गैस्ट्रिक फिलामेंट , सेप्टा तथा मेसेंट्रीज का पूर्ण अभाव होता है |

5 – जनद एक्टोडर्म (ectoderm) की कोशिकाओं से बनते हैं |

उदाहरण : 1 – हाइड्रा (Hydra) : अलवणीय जल में पाया जाने वाला पॉलिप रूप है |

2 – ओबेलिया (Obelia) : सी फर (Sea Fur)

3 – मिलीपोरा (Millepora) : दंश कोरल (sting coral) |

4 – फाइसेलिया (Phyasalia) : ” पुर्तगाली युद्ध पोत ”

वर्ग – 2 – स्काइफ़ोज़ोआ (Class – 2 – Scyphozoa) :

1 – मेडुसा अवस्था पूर्ण विकसित , पॉलिप अवस्था अविकसित या अनुपस्थित |

2 – वीलम (velum) अनुपस्थित , लेकिन आठ संतुलन संवेदी अंग उपस्थित |

3 – दंश कोशिकाओं (cnidoblast or nematoblast) दोनों स्तरों (एक्टोडर्म और एण्डोडर्म ) में उपस्थित |

4 – जनन कोशिकाओं का निर्माण गैस्ट्रोडर्मिस की अन्तराली कोशिकाओं से होता है |

5 – पीढ़ियों का एकान्तरण अनुपस्थित होता है |

उदाहरण : 1- ऑरेलिया (Aurelia) : जेली फिश (Jelly Fish) |

2 – राइज़ोस्टोमा (Rhizostoma) : अनेकों मुख पाए जाते हैं |

3 – सायनिया (Cyanea) : सन जेली (sun jelly) |

वर्ग – 3 – एंथोजोआ (Class – 3 – Anthozoa Or Actinozoa) :

1 – पॉलिप अवस्था विकसित तथा मेडुसा अवस्था अनुपस्थित होती है |

2 – मीसोग्लिया में कोशिकाएं एवं तंतु पाए जाते हैं |

3 – दंश कोशिकाओं (cnidoblast or nematoblast) दोनों स्तरों (एक्टोडर्म और एण्डोडर्म ) में उपस्थित |

4 – इनमें अधिकांश में कंकाल उपस्थित होता है जिसे कोरल (coral) कहते हैं |

5 – जनन कोशिकाओं का निर्माण गैस्ट्रोडर्मिस की अन्तराली कोशिकाओं से होता है |

6 – पीढ़ियों का एकान्तरण अनुपस्थित होता है |

उदाहरण : 1- मैड्रीपोरा (Madrepora) : स्टेग हॉर्न कोरल |

2 – ऐल्सियोनियम (Alcyonium) : डैड मैन की अंगुलियां |

3 – मियेनड्रीना (Meandrina) : मस्तिष्क कोरल |

4 – एस्ट्रिया (Astrea) : स्टार कोरल |

5 – फन्जिया (Fungia) : मशरुम कोरल |

6 – कोरेलियम (Corallium) : लाल मूंगा |

7 – एंटीपेथोस (Antipethos) : काला मूंगा |

8 – मेट्रीडियम (Metridium) : सी एनीमोन (Sea Anemone) |

9 – हेलीओपोरा (Heliopora) : नीला मूंगा |

10 – गॉर्गोनिया (Gorgonia) : समुद्री पंखा |

11 – ट्यूबीपोरा (Tubipora) : आर्गन कोरल पाइप |

Velum In Coelentrata :

Velum In Coelentrata : वीलम (Velum) एक शेल्फ जैसी झिल्ली जैसी संरचना है जो मेडुसा ( जेली फिश ) की घंटी के किनारे से अंदर की ओर निकलती है | यह मुख्य रूप से संघ सीलेन्ट्रेटा के हाइड्रोज़ोआ में पायी जाती है | यह एक मांसपेशीय वलय के रूप में कार्य करता है जो सिकुड़ और फ़ैल सकती है जिससे घंटी के छिद्र का व्यास बदल जाता है और इसके संकुचन से बाहर निकले पानी के वेग को बढ़ाकर तैरने में मदद करता है जिससे जीव आगे की ओर बढ़ता है |

दंश कोशिकाएं (Cnidoblast Or Nematocytes) :


दंश कोशिकाएं (Cnidoblast Or Nematocytes) : या डसने वाले कोष केवल संघ सीलेन्ट्रेटा के जंतुओं में ही पाए जाते हैं | ये शरीर के एक्टोडर्म स्तर में होते हैं ये इंटरस्टिसियल कोशिकाओं (Interstitial Cells) से विकसित होते हैं और जीवन पर्यन्त बने रहते हैं |
दंश कोशिका के अंदर विषैले पदार्थ से भरा हुआ एक कोष निमैटोसिस्ट होता है | इसका अगला सिरा लम्बा व खोखले सूत्र के रूप में निकला होता है | दंश कोशिका के दबने पर यह सूत्र निकलकर शत्रु के शरीर में घुसकर उसके अंदर जहर पहुँचाता है |

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