Characteristics Of Nematoda : Gr. Nema = thread , helminthes = worms
सामान्य लक्षण (General Characteristics) –
1 – अधिकांश जन्तु जलीय (aquatic) होते हैं , कुछ स्थलीय (terestrial) , स्वतंत्र जीवी (free living) या परजीवी (parasite) होते हैं |
2 – शरीर खंडहीन (unsegmented) , त्रिस्तरीय (triploblastic) तथा द्विपार्श्वसममित (bilateral symmetrical) होता है |
3 – शरीर पतला लम्बा , बेलनाकार तथा कृमि के समान होता है |
4 – शरीर के अग्र भाग पर मुख तथा संवेदी अंग पाए जाते हैं , लेकिन स्पष्ट सिर नहीं होता है |
5 – शरीर पर मोटा क्यूटिकल का आवरण पाया जाता है |
6 – एपिडर्मिस बहुकेन्द्रिकीय (syncytial) , तथा इसके भीतर की ओर पेशी स्तर होता है | यह विशेष प्रकार की अनुलम्ब पेशी कोशिकाओं (longitudinal muscle cell) के चार चतुर्थांशों (quadrants) में बंटा होता है |
7 – देह गुहा कूट गुहा (pseudocoelom) होती है अतः यह मीसोडर्म से आस्तरित नहीं रहती है |
8 – श्वसन तथा परिवहन तंत्र का अभाव होता है |
9 – उत्सर्जन तंत्र उत्सर्जी नालों (excretory canals) या प्रोटोनेफ्रीडिया (protonephridia) का बना होता है |
10 – तंत्रिका तंत्र में एक तंत्रिका वलय (nerve ring) तथा अग्र व पश्च तंत्रिकाएं होती हैं |
11 – जनन तंत्र विकसित होता है |
12 – ये एकलिंगी अर्थात नर एवं मादा पृथक पृथक होते हैं | मादा की तुलना में नर छोटा होता है | ऐक
13 – जीवन चक्र जटिल होता है | परिवर्धन प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रकार का होता है |
वर्गीकरण (Classification) –
पुच्छीय ज्ञानेन्द्रिय या फैस्मिड (caudal receptors or phasmids) के आधार पर संघ प्लैटीहेल्मिन्थीस (Phylum platyhelminthes) को दो वर्गों में विभाजित किया गया है –
वर्ग 1 -ऐफैस्मिडिया (Class 1- Aphasmidia) –
1 – इस वर्ग के सदस्यों में फैस्मिड (phasmid) अनुपस्थित होते है |
2 – अग्र ज्ञानेन्द्रियाँ या एम्फीड्स (Amphids) कई प्रकार के होते हैं |
3 – उत्सर्जी नलिकाएं कम विकसित या अनुपस्थित होती हैं |
4 – पुच्छीय आसंजक ग्रंथियां उपस्थित होती हैं |
उदाहरण – डेस्मोस्कोलेक्स (Desmoscolex) , ट्राइलोबस (Trilobus) |

वर्ग 2 -फैस्मिडिया (Class 2- Phasmidia) –
1 – फैस्मिड (phasmid) उपस्थित होते है |
2 – अग्र भाग पर रन्ध्र के समान एम्फीड्स (Amphids) उपस्थित होते है |
3 – उत्सर्जी तंत्र में एक जोड़ी पार्श्व नलिकाएं पायी जाती हैं |
4 – पुच्छीय आसंजक ग्रंथियों का अभाव होता है |
उदाहरण – एस्केरिस (Ascaris) – गोल कृमि
ट्राइकिनेला (Trichinella) –
लोआ – लोआ (Loa-Loa) – नेत्र कृमि
वूचेरिया (Wauchereria) – फाइलेरिया कृमि
