What Is Protista

What Is Protista – सर्वप्रथम शब्द प्रोटिस्टा का प्रयोग ई.एच. हेकल (E.H.Heackel 1865) ने किया था । “प्रोटिस्टा” शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द “प्रोटिस्टोज”(protistos)से हुई । जिसका शाब्दिक अर्थ प्रारंभिक होता है। इस जगत के अंतर्गत पृथ्वी के प्रथम एक कोशिकीय यूकैरियोट्स को सम्मिलित किया गया था। यह जंतु तथा पादप( कुछ शैवाल एवं कवक के अतिरिक्त) एवं स्वपोषी तथा परपोषी दोनों प्रकार के होते हैं । यह एक छोटा प्राकृतिक समूह है जो अति विवादास्पद समूह के रूप में जाना जाता है , इसीलिए इस जगत को वर्गीकरण का कूड़ेदान ( dustbin of classification) कहा जाता है विकास की दृष्टि से यह समूह मोनेरा से अधिक विकसित माना गया है।

Characteristics of“PROTISTA”-प्रोटिस्टा के लक्षण

Protista जगत के लक्षण निम्नलिखित हैं –

1- इस जगत के सम्पूर्ण जीव नम स्थानों पर पाए जाते हैं |

2- इस जगत में Eukaryotic जीवों को सम्मिलित किया गया है |

3 – कोशिका भित्ति सेल्यूलोस की बनी होती है |

4 – इनमें सत्य केन्द्रक पाया जाता है अर्थात केन्द्रक पूर्ण विकसित होता है | केन्द्रक में एक या एक से अधिक केन्द्रिका हो सकती है

5 – कोशिका में सुविकसित कोशिकांग जैसे Mitochondria , Golgi Body, Plastids , Endoplasmic Reticulum, Lysosomes , Ribosomes , पाए जाते हैं |

6 – कुछ जीव अचल होते हैं कुछ में गति के लिए Cillia, Flagella, या Pseudopodia, उपस्थित होते हैं |

7 – ये प्रकाश संश्लेषी, पादपसम पोषी, मृतोपजीवी, परजीवी तथा सहजीवी हो सकते हैं | जल में तैरने वाले प्रकाश – संश्लेषी Protists को सामूहिक रूप से Phytoplankton कहते हैं तथा जल में मुक्त रूप से तैरने वाले प्राणिसम Protozoans सामूहिक रूप से Zooplanktons कहते हैं |

8 – इनमें प्रजनन सामान्य अलैंगिक एवं लैंगिक दोनों प्रकार का होता है लैंगिक जनन सर्वप्रथम Protista में ही पाया जाता है |

Classification Of Protista

Classification Of Protista – जगत प्रोटिस्टा के जीवधारियों को मुख्यतः तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है –

1 – प्रकाश संश्लेषी या पादप सम प्रोटिस्ट्स (Photosynthetic or holophytic protists )

2 – कवकसम प्रोटिस्ट्स ( fungus like protists)

3 – जन्तुसम प्रोटिस्ट्स या प्रोटोजोऑन्स ( Holozoic Protists or Protozoans )

1- प्रकाश संश्लेषी या पादप सम प्रोटिस्ट्स (Photosynthetic or holophytic protists)-

इसके अंतर्गत एक कोशिकीय यूकैरियोटिक जीवन के समूह को सम्मिलित किया गया है सामान्यतः यह सूक्ष्म जल में तैरने वाले अर्थात पादप प्लवक (phytoplankton ) प्रकार के पादप शैवाल है जो पौधों की भांति प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम होते हैं इसीलिए इन्हें पादप सदृश प्रोटिस्ट्स कहते हैं । इन जीवों में अधिकांश प्रकाश संश्लेषण क्लोरोफिल वर्णक द्वारा किया जाता है और भोजन का निर्माण होता है । यह भी निम्न प्रकार के होते हैं-

1 -डाइनोफ्लैजिलेट ( Dianoflagellates)- यह प्रकाश संश्लेषी अति सूक्ष्म तथा एक कोशिकीय होते हैं इन्हें वर्ग dinophyceae के अंतर्गत रखा गया है यह प्राय खारे जल (समुद्र) में पाए जाते हैं । समुद्री खाद्य श्रृंखला में उनकी भूमिका प्रमुख होती है। उदाहरण- Noctiluca, Ceratium, etc

2 – क्राइसोफाइट्स (Chrysophytes)- यह एक कोशिकीय एवं प्रकाश संश्लेषण होती हैं इसके अंतर्गत डायटम्स (Diatoms) तथा डेसमिड्स (Desmids) आते हैं । उदाहरण- Triceratium, Navicula, Amphipleura, etc ।

3 – यूग्लीनाएड ( Euglenoid)- ये विशिष्ट प्रकार के एककोशिकीय जीव हैं जिनमे जन्तु एवं पौधों दोनों के लक्षण मिलते हैं । समानता इनका अध्ययन संघ प्रोटोजोआ के वर्ग फाइटोमैस्टिगोफोरा (class – phytomastigophora ) के अंतर्गत किया जाता है। ये पर्णहरिम युक्त हरे रंग के प्रकाश संश्लेषी प्रोटिस्टा (photosynthetic protists ) हैं । उदाहरण – Euglena, Paranema, etc .

2 – कवकसम प्रोटिस्ट्स ( fungus like or slime molds ) –

उनकी कायिक संरचना जंतुओं एवं जननीय प्रावस्था पादप के समान होती है । अर्थात दोनों के लक्षण मिलते हैं इस विशिष्टता के कारण इन्हें फंगस एनिमल (fungus animal ) कहते हैं । इनमें प्रकाश संश्लेषण क्रिया का अभाव होता है यह प्रायः परपोषी ( मुख्यतः मृतोपजीवी ) होते हैं । उदाहरण – Myxamoeba

3 – जन्तुसम प्रोटिस्ट्स , प्रोटोजोआ (Holistic Protists , Protozoa ) –

इसके अंतर्गत समस्त एक कोशिकीय सूक्ष्मजीव सम्मिलित हैं इनका संपूर्ण शरीर एक सुकेंद्रीय कोशिका के समान होता है । यह निम्नतम कोटि के सर्वाधिक प्राचीन सरलतम संरचना के “प्रथम जंतु” हैं , किंतु बहुकोशिकीय जंतुओं के समान सभी जैव क्रियाओं को करने में सक्षम होते हैं। अतः इन्हें अकोशिकीय ( non cellular or acellular ) जंतु कहते हैं ।

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