
जीवाणुओं के सामान्य लक्षण (Characterstics Features of “Bacteria”) निम्नलिखित हैं –
1 – जीवाणु सबसे सरल , अतिसूक्ष्म , एककोशिकीय एवं आद्य जीव हैं |
2 – ये विश्वजननीय अर्थात सर्वव्यापी जीव हैं जो जल , थल एवं वायु , जीवित , मृत , जन्तु एवं पौधों पर पाए जाते हैं |
3 – ये बर्फ व गरम जल के झरनों में 80°C तक के तापमान पर पाए जाते हैं |
4 – इनकी कोशिका भित्ति में एसिटिलग्लूकोसामिन (Acetylglucoamine) तथा एसीटिलम्यूरेमिक (Acetylmuramic) एसिड नामक दो प्रमुख शर्करा पायी जाती है जो अन्य किसी जीव की कोशिका भित्ति में नहीं पायी जाती |
5 – इनमें सुविकसित कोशिकांग जैसे लवक (Plasdids) , माइटोकांड्रिया ( Mitochondria) , गाल्जीकाय (Golgi body), अंतःप्रदव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum) आदि कोशिकांग अनुपस्थित होते हैं |
6 – जीवाणु कोशिका में केन्द्रक के चारों और केन्द्रक कला (Nuclear Membrane ) नहीं होती तथा केन्द्रिका (Nucleolus ) भी अनुपस्थित होती है | कोशिकाद्रव्य में उपस्थितं केन्द्रिकीय पदार्थ को आरम्भी केन्द्रक (incipient nucleus) कहते हैं तथा ऐसी कोशिका को प्रोकैरियोटिक कोशिका कहते हैं
7 – आरम्भी केन्द्रक में डीएनए होता है परन्तु डीएनए में हिस्टोन प्रोटीन (Histone Protein) नहीं पायी जाती है | डीएनए वलयाकार (circular) होता है और इसके समूह को केन्द्राकाभ (Nucleoid) कहते हैं |
8 – जीव द्रव्य कला कुछ स्थानों पर अंदर की और अनेक बार वलयित होकर मध्यकाय (mesosome) बनाती है जिस पर श्वशन एंजाइम (respiratory enzyme) होते हैं जो श्वशन में भाग लेते हैं |
9 – जीवाणु में राइबोसोम 70s प्रकार के होते हैं जो जीवद्रव्य में स्वतंत्र अवस्था में पड़े रहते हैं और पॉलीराइबोसोम बनाते हैं ।
10 – इनमें जनन सामान्यतः द्विविभाजन (Binary Fission) द्वारा होता है परन्तु कभी कभी ये स्पोर (spore) भी बनाते हैं |
11 – जीवाणु मैं लैंगिक जनन स्पष्ट युग्मकों के संलयन (fusion) द्वारा नहीं होता | इनमें आनुवंशिक लक्षणों में परिवर्तन आनुवंशिक पुनर्संयोजन (genetic recombination) की विधियों जैसे – संयुग्मन (conjugation) , रूपांतरण (transformation) तथा पारक्रमण (transduction) द्वारा व्यक्त किया जाता है |